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आधुनिक आवर्त नियम :-

इस नियम के अनुसार ” तत्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुण उनके परमाणु क्रमांकों के आवर्ती फलन होते हैं ” । अर्थात यदि तत्वों को उनके परमाणु क्रमांकों के बढ़ते क्रम में रखा जाता है तो एक निश्चित अंतराल बाद समान गुणों वाले तत्व की पुनरावृत्ति होती है ।

आधुनिक आवर्त सारणी या दीर्घाकार आवर्त सारणी

इस आवर्त सारणी को बनाने में वैज्ञानिक रैंग (Rang 1983) ,वर्नर ( Werner 1905) तथा बरी (Bury 1921) का योगदान महत्वपूर्ण है । बोर के परमाणु मॉडल के पश्चात इस आवर्त सारणी को बनाया गया तथा यह बोर के इलेक्ट्रॉन वितरण नियम पर आधारित है इसलिए इसे बोर की आवर्त सारणी भी कहते हैं
इसकी निम्नलिखित विशेषताएं हैं –
१) इसमें सात क्षैतिज पंक्तियाँ हैं जिन्हे आवर्त कहते हैं ।
२) इसमें अट्ठारह खड़े कॉलम हैं जिन्हे वर्ग कहते हैं ।
३) इसमें तत्वों को बढ़ते हुए परमाणु क्रमांक के क्रम में रखा गया है ।
४) किसी वर्ग के तत्व आपस में गुणों में समानता रखते हैं क्योंकि उनके बाह्य कोश का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास समान होता है ।
५) पहले आवर्त में केवल 2 तत्व है , दूसरे में 8 ,तीसरे में 8, चौथे में १८, पांचवे में १८, छठे में ३२ तथा सातवें में ३२ इस प्रकार इस आवर्त सारणी में कुल ११८ तत्व हैं ।
६) छठें आवर्त के १४ तत्व आवर्त सारणी के बाहर लैंथेनाइड श्रेणी में रखे गायें हैं , तथा सातवें आवर्त के १४ तत्व आवर्त सारणी के बाहर ऐक्टिनाइड श्रेणी में रखे गयें हैं ।
7) इस आवर्त सारणी में ४ ब्लॉक हैं जिन्हे s, p, d तथा f ब्लॉक कहतें हैं ।

PEREODIC TABLE

s ब्लॉक तत्वों के प्रमुख लक्षण

१) इन तत्वों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास करने पर अंतिम इलेक्ट्रॉन s उपकोश में प्रवेश करता है ।
२) इस ब्लॉक में दो वर्ग है ,पहले की संयोजकता १ तथा दूसरे वर्ग की संयोजकता २ है । पहले वर्ग को क्षार धातु वर्ग तथा दूसरे को क्षारीय मृदा धातु वर्ग कहते हैं।
३) इनकी परमाणु त्रिज्याएँ आवर्त के अन्य तत्वों से अधिक होती हैं ।
४) इस ब्लॉक के तत्व प्रबल धन विद्युती तत्व होते है ।
५) इनकी इलेक्ट्रॉन बंधुता, ऋण विद्युतता तथा आयनन विभव कम होता है ।
६) हाइड्रोजन को छोड़कर सभी तत्व धातु हैं तथा अत्यंत क्रियाशील हैं ।

p ब्लॉक तत्वों के प्रमुख लक्षण

१) इन तत्वों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास करने पर अंतिम इलेक्ट्रॉन p उपकोश में प्रवेश करता है ।
२) इस ब्लॉक में 6 वर्ग है, वर्ग १३,वर्ग १४,वर्ग १5,वर्ग १6,वर्ग १७ तथा वर्ग १८ ।
३) इनकी परमाणु त्रिज्याएँ आवर्त के अन्य तत्वों से कम होती हैं ।
४) इस ब्लॉक के अधिकांश तत्व ऋण विद्युती होते है ।
५) इनकी इलेक्ट्रॉन बंधुता, ऋण विद्युतता तथा आयनन विभव अधिक होता है ।
६) इस ब्लॉक में कुछ तत्व धातु, कुछ अधातु तथा कुछ उपधातु हैं ।

d ब्लॉक तत्वों के प्रमुख लक्षण

१) इन तत्वों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास करने पर अंतिम इलेक्ट्रॉन d उपकोश में प्रवेश करता है ।
२) इस ब्लॉक में 10 वर्ग है (वर्ग ३ से वर्ग १२ तक के तत्व )।
३) इनकी परमाणु त्रिज्याएँ s ब्लॉक तथा p ब्लॉक तत्वों के मध्य होती हैं । आवर्त में परमाणु त्रिज्या बाएं से दाएं चलने पर घटती है ।
४) इस ब्लॉक के तत्व परिवर्ती संयोजकता प्रदर्शित करते हैं । इसलिए इस ब्लॉक के तत्व उत्प्रेरक का गुण रखतें हैं ।
५) इस ब्लॉक के तत्व संकर यौगिक या संकर लवण बनाते हैं । K4[Fe(CN)6] संकर लवण का उदाहरण है ।
६) इस ब्लॉक में सभी तत्व धातु हैं । ये तत्व रंगीन आयन बनाते हैं तथा इनके लवण प्रायः रंगीन होते हैं ।

f ब्लॉक तत्वों के प्रमुख लक्षण

१) इन तत्वों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास करने पर अंतिम इलेक्ट्रॉन f उपकोश में प्रवेश करता है ।
२) इस ब्लॉक के तत्व वर्ग ३ के अंतर्गत आते है । इसके अंतर्गत दो श्रेणी के तत्व है लैंथेनाइड श्रेणी तथा ऐक्टिनाइड श्रेणी
3) इस ब्लॉक के तत्व भी परिवर्ती संयोजकता प्रदर्शित करते हैं ।
4) इस ब्लॉक के तत्व भी संकर यौगिक या संकर लवण बनाते हैं ।
5) इस ब्लॉक में भी सभी तत्व धातु हैं । ये तत्व रंगीन आयन बनाते हैं तथा इनके लवण प्रायः रंगीन होते हैं ।
६) लैंथेनाइड श्रेणी तथा ऐक्टिनाइड श्रेणी के तत्वों के रासायनिक गुणों में अधिक समानता के कारण उन्हें एक दूसरे से अलग करना अत्यंत कठिन होता है ।

आयनन विभव :-

किसी तत्व के एक विलगित परमाणु (जो किसी से जुड़ा न हो) में से बाह्य कोश से एक इलेक्ट्रॉन बाहर निकालने के लिए जितनी ऊर्जा की आवश्यकता होती है उस ऊर्जा की मात्रा को उस तत्व का आयनन विभव अथवा आयनन एन्थैल्पी कहते है । इसी प्रकार बाह्य कोश से दूसरे इलेक्ट्रॉन को बाहर निकालने आवश्यक ऊर्जा को द्वितीय आयनन विभव कहते हैं ।
उदाहरण –

Al(g) ——> Al+(g) + e- [IE1 =580kJ/mol प्रथम आयनन विभव ]

Al+(g) ——> Al++(g) + e- [IE2 = 1815 kJ/mol द्वितीय आयनन विभव ]

Al++(g) ——> Al+++(g) + e- [IE3 = 2740 kJ/mol तृतीय आयनन विभव ]

वर्ग में नीचे की ओर चलने पर – आयनन विभव घटता है ।
आवर्त में बाएं से दाएं चलने पर – आयनन विभव बढ़ता है ।

इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी :-

किसी तत्व के एक विलगित परमाणु (जो किसी से जुड़ा न हो) के बाह्य कोश में एक इलेक्ट्रॉन बाहर से देने पर जितनी ऊर्जा उत्सर्जित होती है अथवा ऊर्जा की आवश्यकता होती है, उस ऊर्जा की मात्रा को उस तत्व की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी कहते है । इसी प्रकार बाह्य कोश में दूसरा इलेक्ट्रॉन बाहर से देने पर मुक्त ऊर्जा अथवा आवश्यक ऊर्जा को द्वितीय इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी कहते हैं ।

उदाहरण –

Cl(g) + e- ——> Cl-(g) + 349kJ/mol

सभी तत्वों में क्लोरीन सर्वाधिक इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी वाला तत्व है

वर्ग में नीचे की ओर चलने पर – इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी घटती है ।
आवर्त में बाएं से दाएं चलने पर -इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी बढ़ती है ।

ऋण विद्युतता :-

किसी तत्व के परमाणु द्वारा साझे के इलेक्ट्रॉन युग्म को अपनी ओर को आकर्षित करने की प्रवृति को उस तत्व की ऋण विद्युतता कहते हैं।
वर्ग में नीचे की ओर चलने पर -ऋण विद्युतता घटती है ।
आवर्त में बाएं से दाएं चलने पर -ऋण विद्युतता बढ़ती है ।
सभी तत्वों में फ्लोरीन सर्वाधिक ऋण विद्युती तत्व है । पॉलिंग स्केल पर इसकी ऋण विद्युतता को ४.० मानकर अन्य तत्वों की ऋण विद्युतता निर्धारित की गयी है जो निम्न है ।

IH
2.1
He
0.0
IILi
1.0
Be
1.5
B
2.0
C
2.5
N
3.0
O
3.5
F
4.0
Ne
0.0
IIINa
0.9
Mg
1.2
AlSiPSCl
3.0
Ar
0.0
IVK
0.8
Ca
1.0
Br
2.8
Kr
0.0
Electronegativities of some elements
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